किस जात-पांत की तू बात करता मानव
किस धर्म का तूने पाठ पढ़ा
इसी अगाधता के भंवर में
तूने ये सारा जंजाल बुना
अभी भी वक्त है संभल जा
मत होने दे नरसंहार यहाँ
कह रही ये फूट-फूट कर रोटी ये धरा.
किस धर्म का तूने पाठ पढ़ा
इसी अगाधता के भंवर में
तूने ये सारा जंजाल बुना
अभी भी वक्त है संभल जा
मत होने दे नरसंहार यहाँ
कह रही ये फूट-फूट कर रोटी ये धरा.
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