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Showing posts from March, 2014
एक दिन मैं मेरे अपनों से ही परायी हो जाउंगी. परायी होकर फिर किसी से अपनाई जाउंगी. ये ज़िन्दगी का खेल तो यूँ ही चलता रहेगा. किसी का घर छोड़ तो किसी का जोड़ जाउंगी. ये दौर यूँ ही गुजरता चला जायेगा . और एक दिन इस ज़िन्दगी से भी नाता तोड़ जाउंगी. फिर समय का पहिया घूमेगा मैं वापस इस धरती पर कदम रखने आउंगी. जिन्दा दिलों से यही है विनय. मुझे आने देना ख़ुशी के साथ इस धरती पर. मैं एक नया जीवन चक्र आपके लिए निभाउंगी.                                                                             ...v.maya