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राखी

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न कोई कड़ी हूँ, न कोई जकड़न, मैं तो बस वही एक प्यारा सा बंधन हूँ। मैं राखी हूँ, जिसे किसी ने भेजा है बड़े प्यार से, एक अटूट रिश्ते के एहसास से। जो सज जाऊँ कलाई पर तो एक रिश्ते का प्यार जताती हूँ, खुल भले ही जाऊं पर उस कलाई पर अपने निशाँ छोड़ जाती हूँ। हाँ मैं वही राखी हूँ, जो भाई की कलाई पर बंध बहन की रक्षार्थ होती हूँ, हाँ मैं उसी रिश्ते का परिपक्व आधार हूँ। न कोई कड़ी, न कोई जकड़न, मैं तो बस एक प्यारा सा बंधन हूँ।
किस जात - पांत की तू बात करता मानव किस धर्म का तूने पाठ पढ़ा इसी अगाधता के भंवर में तूने ये सारा जंजाल बुना अभी भी वक्त है संभल जा मत होने दे नरसंहार यहाँ कह रही ये फूट - फूट कर रोटी ये धरा .
मैं वक़्त के प्यालों की ख्वाहिश नहीं, जिंदगी मुझसे है मैं जिंदगी से नहीं, यूँ बार-बार मुझ पर शब्दों की आज़माइश न कर, मैं वक़्त का दरिया हूँ, मुझसे उम्मीदों की गुंजाइश न कर