मैं वक़्त के प्यालों की ख्वाहिश नहीं,
जिंदगी मुझसे है मैं जिंदगी से नहीं,
यूँ बार-बार मुझ पर शब्दों की आज़माइश न कर,
मैं वक़्त का दरिया हूँ, मुझसे उम्मीदों की गुंजाइश न कर

Comments

  1. विष्णुमायाजी! ग़ज़ब का आत्मविश्वास है आपकी कविता मैं! अच्छी रचना !

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